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लेखनी प्रतियोगिता -25-May-2022


बात मेरे मन की उसको तू सुना दे
चांद मेरे चांद को वापस बुला दे।

दूर होकर हम तो
ऐसे फंस गए हैं
अंतरिक्ष में जैसे
तारे धंस गए हैं
पूछ लेना उससे
थोड़ा पास जाकर
क्या मिलेगा उसे
मुझको आजमाकर
और मेरे हाल भी उसको बता दे
चांद मेरे चांद को वापस बुला दे।

पास उसके जाके
उसको ये बताना
कितना मुझको खला
उसका दूर जाना
भले सारे जग में
उसका राज होगा
पर न ये आलम
न ये अंदाज होगा
इस विरहिणी की व्यथा उनको सुना दे
चांद मेरे चांद को वापस बुला दे।

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16 Comments

Shnaya

28-May-2022 12:54 PM

बेहतरीन

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Anshumandwivedi426

30-May-2022 12:22 AM

कोटिशः धन्यवाद

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Pallavi

26-May-2022 09:50 PM

Very nice

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Anshumandwivedi426

27-May-2022 12:20 AM

कोटिशः धन्यवाद

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Shrishti pandey

26-May-2022 08:36 PM

Nice

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Anshumandwivedi426

26-May-2022 09:46 PM

सहृदय धन्यवाद

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